अल्लाह ताला से माफी मांगने का सही तरीका
अस्सलाम वालेकुम प्यारी बहनों भाइयों आज हम आपको अल्लाह ताला से माफी मांगने का सही तरीका बताने वाले हैं काफी सारे मुसलमान बहनों भाइयों को नहीं पता कि अल्लाह ताला से माफी मांगने का सही तरीका क्या है तो अगर आप भी यह नहीं जानते हैं और आप यह जानने के लिए आए हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर है|
यहां पर हम आपको बहुत ही आसानी से और बहुत ही अच्छे तरीके से हम हम आपको बताने वाले हैं अगर आप भी यह नहीं जानते कि अल्लाह ताला से माफी मांगने का सही तरीका क्या है तो आप बिल्कुल सही जगह पर है चलिए हम आपको बताते हैं|
अल्लाह ताला से माफी मांगने का तरीका
जब आप दुआ कर रहे हो तो रो-रो कर, गिड़गिड़ा कर अपनी दुआ को कबूल कराएं, और सब कुछ मांग लेने के बाद दुआ के आखिर में फिर से दुरूद शरीफ पढ़ें।
दुआ मांगने का सबसे अफ़ज़ल तरीका यह है कि हम जो भी दुआ मांगे, वह हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के वास्ते से कबूल कराएं। हुजूर का वास्ता, दुआ कुबूल होने का सबसे बड़ा जरिया है।
जब दुआ पूरी हो जाए तो अपने दोनों हाथों को मुंह पर फेर लें, और दिल में ये यकीन करें कि दुआ जरूर कबूल होगी। अगर दुआ की कबूलियत का असर ना दिखे तो गमगीन ना हुए।
दुनिया भर के मुसलमान बहन भाई अलग-अलग तरीके से अल्लाह ताला से दुआ करते हैं अल्लाह बहुत बड़ा है और हम पर बहुत मेहरबान है
इस्लाम में दुआ करने का सही तरीका क्या है
पांच वक्त की नमाज हर मुसलमान भाई बहन पर फर्ज है और इसी तरीके से हर नमाज के बाद दुआ करना चाहिए अल्लाह ताला से हर मुसलमानों को मक्का शरीफ यानी काबे के तरफ मुंह करके दुआ मांगना चाहिए बेहतर होगा कि नमाज के बाद दुआ मांगा जाए तो वह दुआ जरूर कबूल होती है |
जो शख्स अल्लाह ताला से मुसीबत के वक्त दिल से गिड़गिड़ा कर रो रो कर दुआ करता है तो वह दुआ जरूर ही कबूल होती है और सफर में भी दुआ कबूल होती है बारिश के वक्त अल्लाह ताला से दुआ करनी चाहिए जो भी आपकी दिल्ली मुराद होगी वह जरूर पूरी होगी |
अल्लाह ताला से हर नमाज के बाद दुआ करनी चाहिए और आसन होते वक्त अल्लाह ताला से दुआ करें वह दुआ जरूर कबूल होती है जुम्मे के दिन जो शख्स अल्लाह ताला से नमाज के बाद जुम्मे के दिन किसी भी वक्त अल्लाह ताला से जो शख्स दुआ मांगता है वह दुआ जरूर कबूल करता है अल्लाह ताला|
दुआ कबूल होने की दुआ हिंदी में
सबसे पहले दुआ में दुरूद शरीफ पढ़ना अफजल माना गया है। क्योंकि हदीस में आया है कि जो दुआ बगैर दुरूद शरीफ़ के मांगी जाती हो वह दुआ जमीन और आसमान के बीच में लटकी रहती है और कबूल नहीं होती है।
दुरूद इब्राहिम उर्दू में
दुरूद शरीफ़ के बाद, रबना आतेना फीत दुनिया पढ़ें. उसके बाद, आप अल्लाह ताला की तारीफ़ बयां करें और उसमें अच्छे-अच्छे कलिमात पढ़े। इसके बाद इसमें आजम और अस्मा-ए- हुस्ना में से एक, दो या उससे ज्यादा पढ़ें।
इन अस्मा के बारे में हदीस में आता है कि उनके पढ़ने के बाद जो दुआ मांगी जाए वह कभी खारिज नहीं होती है। अब आप सबसे बड़े रहम करने वाले अल्लाह के सामने अपनी जरूरतों को पेश करें।
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